मानवाधिकारों को प्रोत्साहित करने के लिये यदि कोई अन्य कार्य आवश्यक हो, तो उसे संपन्न करना ।
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मानवाधिकार वे अधिकार हैं जोकि इस पृथ्वी पर हर व्यक्ति केवल एक इंसान होने के कारण ही प्राप्त हुए हैं। ये अधिकार विश्व्यापी हैं और वैश्विक कानूनों द्वारा संरक्षित हैं। सदियों से मानवाधिकार और स्वतंत्रता का विचार अस्तित्व में है। हालांकि समय के बदलने के साथ-साथ इनमें भी परिवर्तन हुआ है।
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ये दिन मानव अधिकारों के सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए राजनीतिक सम्मेलनों, बैठकों, प्रदर्शनियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, वाद-विवाद और कई और कार्यक्रमों का आयोजन करके मनाया जाता है। कई सरकारी सिविल और गैर सरकारी संगठन सक्रिय रूप से मानव अधिकार कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
“सबसे बड़ी त्रासदी बुरे व्यक्तियों का अत्याचार और दमन नहीं बल्कि इस पर अच्छे लोगों का मौन रहना है।”
अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत यातना देने पर प्रतिबंध है। हर व्यक्ति यातना न सहने से स्वतंत्र है।
आर्थिक शोषण के खिलाफ आजाव उठाने का अधिकार
हमारे यहां कुछ बुनियादी मानवाधिकारों को विशेष रुप से सुरक्षित किया गया है। जिनकी प्राप्ति देश के हर व्यक्ति होनी चाहिए, ऐसे ही कुछ मूलभूत मानव अधिकारों के विषय में नीचे चर्चा की गयी है।
यह अधिकार व्यक्ति की स्वायत्तता को प्रभावित करने वाले कार्यों के संबंध में सरकार की शक्ति को सीमित करता है। यह लोगों को सरकार की भागीदारी और कानूनों के निर्धारण में योगदान करने का मौका देता है।
सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति (एससीएलएससी)
मानव अधिकार मानव के विशेष अस्तित्व के कारण उनसे संबंधित है इसलिए ये जन्म से ही प्राप्त हैं और इसकी प्राप्ति में जाति, लिंग, धर्म, भाषा, रंग तथा get more info राष्ट्रीयता बाधक नहीं होती। मानव अधिकार को मूलाधिकार आधारभूत अधिकार अंतरनिहित अधिकार तथा नैसर्गिक अधिकार भी कहा जाता है।
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